बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुस्कान
बहुत दिनों के बाद ----
बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी – भर सुन पाया
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कंठी तान
बहुत दिनों के बाद ----
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर सूँघे
मौलसिरी के ढे र- ढेर से ताजे – टटके फूल
बहुत दिनों के बाद ---
बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी – भर छू पाया
अपनी गंवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल
बहुत दिनों के बाद ---
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर तालमखाना खाया
गन्ने चूसे जी – भर
बहुत दिनों के बाद ---
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर भोगे
गंध – रूप – रस – शब्द – स्पर्श
सब साथ साथ इस भू पर
बहुत दिनों के बाद ।
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