जहरीली रात

जहरीली रात
जहरीली रात

                     कमलापुर गाँव मे एक परिवार रहता था। उस परिवार में रेखा उसकी माँ और उसका शराबी पिता रहता था। दिन भर रेखा और उसकी माँ दोनो गाँव में मजदूरी करते और शाम को घर आते। रेखा स्वभाव से बहुत चंचल और मुँहफट लड़की थी। उसके पिता का नाम गजोधर लाल था। उसको शराब पीने की इतनी बुरी लत लग गयी थी , की वो काम नही करता और दिन भर शराब पीता रहता । आखिर वो एक दिन बीमार पड़ गया। उसका इलाज करवाने के लिए उसका खेत उसका घर सब जयशंकर सेठ के पास गिरवी रख दिया गया। वो तो ठीक हो गया पर उसकी पीने की लत नही ठीक हुई । देखते-देखते रेखा सुंदर युवती हो गयी परन्तु उसके मन मे एक इच्छा हमेशा से थी, की उसका भी कोई भाई या बहन हो जिससे वो खेले, बात करे, लड़ाई करे पर उसके पिता और माँ में कभी  भी ठीक से बात भी नही होती।
            गाँव की नदी में एक पच्चीस- छब्बीस वर्ष का नवयुवक जिसकी लंबाई छः फीट ,चौड़ा सीना, दिखने में सुंदर मनमोहक नहा रहा था। वहां से एक बासुरी वाला जा रहा था।उसने आवाज लगाई और पूछा " कौन हो भैया कभी आपको इस गांव में देखा नही।" तभी वो पानी से बाहर आया और उस बासुरी वाले से बोला " मैं तो राही हु भैया मुझे गांव और नदियां बहुत पसंद है तो मैं घूमता रहता हूं।" बासुरी वाले ने कहा " यहां पास में ही कमलापुर गाव है वहा जरूर घूमना।" नवयुवक ने हँसते हुए कहा " भैया वहाँ तो घूमूंगा ही उससे पहले मुझे बासुरी की कोई मधुर धुन तो सुना दो।" फिर बासुरी वाला उसको धुन सुना कर चला गया।
                नवयुवक सीधा रास्ता पकड़े आगे बढ़ता गया। शाम के चार बज गए थे । सामने रेखा का घर था। रेखा के पिता पंडितजी को अपना हाथ दिखा रहे थे पंडितजी ने कहा" गजोधर तुम्हारी किस्मत पलटने वाली है, बहुत अच्छे संकेत मिल रहे है परन्तु एक समस्या है जो तुमको रोक रही है....।" तभी अंदर से रेखा हाथ मे मोटी लाठी लेके आती है और उसको भगाते हुए बोलती है " भाग जा पंडित अपनी तो गरीबी दूर नही कर पाया बड़ा आता है दुसरो को बताने वाला...।" पंडित वहाँ से भाग जाता है और रेखा बड़बड़ाते हुए अंदर जाने लगती है कि तभी नवयुवक आवाज देता है और रेखा रुक जाती है। गजोधर और रेखा उसको देख स्तब्ध रह जाते इतना मनमोहक ओर शहरी था ही वो। गजोधर ने पूछा " कौन हो बेटा तुम कहाँ से आये हो ।" 
                  नवयुवक ने कहा" मेरा नाम मनोहर है, मुझे गांव घूमने का शौक़ है पहले शहर में रहता था जब कमा लिया तो निकल गया गाव घूमने। अंदर से रेखा की माँ भी आ गयी। उसने पूछा" यहाँ क्या करने आये हो कोई काम है क्या ? नवयुवक ने कहा " नहीं माझी मुझे दूसरे गांव जाना है और शाम भी हो गयी है तो अगर आप मुझे रात बिताने की थोड़ी सी जगह दे दें तो बहुत मेहरबानी होगी। पूरा परिवार सोच में पड़ गया कि अजनबी को कैसे हम अपने घर मे रहने दे। नवयुवक ने कहा" आप फिक्र न करे में यही बाहर में ही सो जाऊंगा अगर आप मान जाए तो ? गजोधर ने कहा " रेखा की माँ इसे रख लेते है। उसकी माँ ने कहा" रेखा रहने देते है आज रात की ही तो बात है"। रेखा चिढ़ के बोलती है" अगर रखना है तो मुझे क्यों बोलती हो रख लो।" नवयुवक कहता है " मेरे खाने पीने की चिंता आप न करे जो आप खाएंगे वही मै भी खा लूंगा।"
           शाम को उसको चाय पीने का मान करता है तो वो गजोधर से कहता है" महोदय मुझे चाय मिलेगी क्या? गजोधर रेखा को बुलाता है और कहता है " चाय बना दो बेचारा थक गया होगा । वो बोलती है चायपत्ती नहीं है दूध तो है अगर लेके आएंगे तो बना दूंगी। नवयुवक ने एक सौ के नोट निकले और उनको दे दिया । उसकी माँ बोली" अरे बाबू इसकी जरूरत नही है चायपत्ती आ जायेगी। परन्तु उसने पैसे दे दिए। सभी ने चाय पिया
      शाम के छः बज गए थे कि तभी दरवाजे पर कोई आता है उसकी माँ उसको अंदर जाने को बोलती है। दरवाजा खोलने पर सामने सेठ था जो अपना उधार के बारे में तगादा करने आया था। उसने इशारे में ही उधार के बदले रेखा उसके घर भेजने की बात कही उसका जवाब रेखा ने अपने कुत्ते को डाटते हुए कहा" जहाँ देखो वही चाटने लगता है साला आखिर कुत्ता है ना और तू वही रहेगा। जवाब सुन के वो वहाँ से चला जाता है।
       नवयुवक अंदर से सारी बातें सुनता है और उनसे कहता है " माझी क्या मैं आपकी मदद कर सकता हु मेरे पास कुछ पैसे और गहने है जो उसका उधार चुका देंगे। वो अंदर से अपना सूटकेस लेके आता है और उसको खोल देता है। सूटकेस खोलते ही तीनो की आँखे फटी की फटी रह जाती है उसमें बहुत से पैसे और बहुत से गहने थे। रेखा की माँ ने कहा कि तुम बाहर के आदमी हो हम कैसे तुम्हारा पैसा ले सकते है। नवयुवक ने कहा हम इसको लेके सुबह बात करते है ठीक है अभी मुझे मुर्गा खाने का मन कर रहा है। गजोधर बोलता है" बेटा अभी हमारी मुर्गा खरीदने की हैसियत नही है घर मे तो जौ की रोटी बनी है। नवयुवक हँसते हुए बोलता है" महोदय कितना लगेगा मुर्गा ओर मसाला में ?  गजोधर बोलता है "पच्चास रुपये। वो 500 का नोट निकल के उसको देते हुए बोलता है " जो जो लाना है वो आप लेके आईये मुझे आज बहुत स्वादिष्ट मुर्गा खाना है। गजोधर मुर्गा लेने चला जाता है और उनदोनो को तैयारी करने बोलता है।
नवयुवक घर के पीछे सिगरेट पीने चला जाता है। रेखा अपनी माँ से बोलती है" माँ उसके पास इतना पैसा है कि हम अपना उधार भी चुका देंगे और हम अमीर भी हो जाएंगे। सुबह पंडितजी भी तो वही बोल रहे थे। परन्तु माँ का मन नही मान रहा था तभी गजोधर आता है और सारी बाते सुन लेता है। उसकी माँ बोलती है" देखिए ना ये लड़की क्या बोल रही है उसको मारने की बात कर रही है। उसके पिता ने बोला" तो इसमें गलत क्या है सभी लोग किसी न किसी को कुचल के ही आगे बढ़ते है। तभी वो नवयुवक वहाँ आ जाता है और पूछता है "किसको मारने की बात चाल रही है"। गजोधर बोलता है कुछ नही बेटा मुर्गे को मारने की बात चल रही है देखो न अभी जिंदा है और कुछ समय बाद ये मर जायेगा। फिर वो लोग खान बनाने लगते है।  रेखा जंगल से जहर के दो पते लाती है।
रात के 11 बजे नवयुवक हँसते हुए बोलता है माझी आज मुर्गा बनेगा या नही। माँ बोलती है" हा बस बन गया आओ हाथ धो लो।
   माँ जहरीले पत्तो को पीस के उसके मुर्गे में मिला देती है। जैसे ही वो खाने पर बैठता है उसी समय कोई दरवाजा खटखटाने लगता है। माँ को पहले से ही ये सब अच्छा नही लग रहा था। सामने दो पुलिस वाले खड़े थे । उन्होंने कहा माझी कैसी हो यहाँ कोई चोर तो नही आया ना।सेठ जी के यहां चोरी हुई है। तभी उनको मुर्गे की महक आती है और वो खाने को बोलते है। वो उसी थाली में बैठने लगते है जिसमे जहर था परन्तु वो थाली हटाते हटाते गिर जाती हैऔर उनको दूसरे थाली में खिला के जाने को बोल देते है वो गिरा हुआ खाना उसका कुत्ता खा लेता है और वही बाहर दुवारी पर सो जाता है। उस कुत्ते को रेखा गढ़े में गाड़ने जाती है। उधर माँ उस नवयुवक को खाना खिला के सोने को बोलती है। रेखा माँ को गुस्से से देखती है और बोलती है " एक बाप है जिसको पिने से फुरसत नही ओर एक माँ है जो मुझे जीते जी मार देगी लगता है मुझे ही कुछ करना होगा। उधर गजोधर शराब के ठेके पर शराब पीता रहता है । तभी कोई उसको बताता है कि जो नवयुवक उसके घर आया है वो कोई और नही उसका अपना बेटा मुन्ना है जो उसको बचपन मे ही छोड़ के चला गया था। वो तुम लोगो को अचम्भित करना चाहता था इसलिए हमलोगों को बताने से मना किया उसने।" उसका सारा नशा उतर जाता है और साईकल पे बैठ के जल्दी जल्दी घर जाने लगता है।
    उधर रेखा लालच में अंधी होके अपने सोते भाई का गला चाकू से काट देती है और घर के पीछे गढ़ा खोदने लगती है तभी उसको अपनी पिता और अपनी माँ के रोने की आवाज आती है। और वो लोग मुन्ना मुन्ना बोल के रो रहे होते है, उसका लालच का भुत जैसे भाग गया और वो उसका डायरी को देखने लगती है जिसमे उसने बचपन उसकी चोटी काटी थी और माँ के डर से घर छोड़ के भाग गया था। माँ रसोई में जाती है और जहर मिला चावल लाती है तीनो मिलके खाते है। गजोधर रुई का बोरा लाके पूरा घर मे बिखेर देता हैऔर लालटेन से उसमे आग लगा देता है पूरा घर जल जाता है।

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